हेल्लो दोस्तों आज हम शेयर मार्केट के बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण टॉपिक ASM GSM Category in Hindi के बारे में बात करेंगे और जानेंगी की आखिर ये ASM और GSM होता क्या है और साथ में हम ASM और GSM के Full Form in Share Market को भी जानेंगे.
ASM और GSM, Stock Market Surveillance के दो हिस्से है ये इतना महत्वपूर्ण टॉपिक है की अगर आप स्टॉक मार्केट में ट्रेड करते है या इन्वेस्ट करते है तो आपको इसके बारे में जानना बहुत जरूरी हो जाता है.
स्टॉक मार्केट Surveillance ये टर्म सुनने में काफी कठिन है, लेकिन Surveillance का मतलब ये पता लगाना होता है की क्या मार्केट में सब कुछ ठीक चल रहा है ? क्या मार्केट को कोई Manipulation तो नहीं कर रहा है क्या मार्केट का इस्तेमाल किसी गलत तरीके से पैसे कमाने के लिए तो नहीं किया जा रहा है I ये सभी सवाल का जवाब हमारे Regulator सेबी को चाहिए क्योंकि मार्केट एक ऐसा जगह है जहां पर सब लोग पैसा कमाने के लिए आये है तो इस मार्केट में अजीब अजीब से लोग होतें है कुछ लोग मार्केट को Manipulate करके पैसा कमाना चाहते है तो as a regular सेबी को बनाया ही इसलिए गया है कि शेयर मार्केट में Manipulation कम से कम हो पाए इसका ध्यान रखना.
सेबी को 1995 में शुरू किया गया था तब से सेबी Regulator का एक ही मकसद है कि रिटेल इन्वेस्टर सही काम करें और मार्केट Manipulation कम से कम हो.
आज के इस आर्टिकल में हम दो Surveillance के बारे में बात करेंगे.
What is ASM And GSM List in Share Market (ASM GSM Category in Hindi)
1 GSM Category
2 ASM Category
ये दोनों Concept को समझना बहुत जरूरी है आपने इन दोनों के बारे में तो बहुत बार सुना होगा कई बार आप किसी स्टॉक में ट्रेड या इन्वेस्ट करना चाहते होंगे तो आपके पास Alert आता होगा की ये स्टॉक ASM में है या GSM में है अब एक एक करके देखते है की आखिर ये ASM और GSM होता क्या है.
1 GSM क्या होता है? ( GSM Full Form in Share Market )
GSM का Full Form Graded Surveillance Measure होता है. GSM का उद्देश्य क्या है सेबी कहता है की एक कंपनी जो बिजनेस कर रही है और उसका Financials मतलब Profitability, सेल्स आदि ये सब कंपनी के Character को दर्शाता है लेकिन स्टॉक प्राइस अगल ही डायरेक्शन में जा रहा है तो ये जो Profitability और बिज़नस और ये जो स्टॉक प्राइस है इनके बीच भी कंही न कही De-linkages है.
GSM का मकसद था सेबी का की उन कंपनी को पहचान करें इसमें अनियमित प्राइस मूवमेंट्स हो रहा है I जिसके बीच में Profitability, बिजनेस और शेयर प्राइस के बीच में Relationship नहीं है उनके अन्दर में कुछ ऐसे Measures लेके आये की शायद उनमें कोई Manipulation हो रहा है तो उसको कंट्रोल किया जाए.
उदाहरण के लिए – अगर किसी कंपनी का बिजनेस कुछ खास अच्छा नहीं कर रही है फिर भी उस कंपनी के शेयर प्राइस में लगातार बढ़त देखने को मिल रहा है और इस स्टॉक में operator कुछ ज्यादा ही एक्टिव है तो ऐसे स्टॉक को सेबी अपने Surveillance में ले लेगी और इसे GSM में डाल देगी.
इसका दूसरा उदाहरण है Penny स्टॉक कई बार रिटेल इन्वेस्टर किसी Penny के Past के Return को देखकर इस Penny को खरीद लेता है जबकि इस कंपनी का बिजनेस कुछ खास अच्छा नहीं कर रहा है फिर भी इसके स्टॉक लगातार बढ़ते जा रही है तो इस तरीके के छोटे और Penny स्टॉक में Manipulation करना ज्यादा आसान होता है क्योकि इनकी वैल्यूएशन कम होने के कारण इनके प्राइस को आसानी से Manipulated किया जा सकता है जिसे देखकर कई रिटेल निवेशक इस तरीके के स्टॉक में फसकर अपना नुकसान कर लेता है इन्ही Manipulations को रोकने के लिए सेबी ने GSM को लाया हुआ है.
GSM को सेबी ने 2017 में लेके आया था ये Concept अभी काफी नया है GSM को करने के लिए सेबी ने अलग अलग तरीके दिए है जिसे हम एक एक करके आगे समझेंगे.
अगर कोई कंपनी GSM के अंतर्गत आती है तो इसमें भी दो Criteria होता है :-
- Criteria 1
- Criteria 2
इस Criteria के अन्दर भी Multiple Stages है जैसे Stage 0, Stage 1, Stage 2, Stage 3, Stage 4
जैसे ही किसी कंपनी को GSM में किसी Criteria के अन्दर डाला जाता है वो कंपनी Stage 0 में आ जाती है.
Criteria 1 क्या है ?
Criteria 1 में उन कंपनी को डाला जाएगा जो निम्नलिखित Condition में आती है :-
- जिस कंपनी का Net Worth 10 करोड़ या उससे कम है और
- नेट फिक्स्ड एसेट – 25 करोड़ या उससे नीचे और
- अगर कंपनी का P/E Benchmark निफ्टी 500 के P/E से दोगुना हो या नेगेटिव हो तो ही कोई कंपनी Criteria 1 के अन्दर आता है.
किसी कंपनी को Criteria 1 में रखने के लिए ये तीनो Condition पूरा होना चाहिए तब ही किसी कंपनी को Criteria 1 में रखा जाता है.
Criteria 2 में निम्नलिखित कंपनी आ जाएगी
- Market Capitalisation 25 करोड़ या उससे नीचे और
- अगर कंपनी का P/E Benchmark निफ्टी 500 के P/E से दोगुना हो या नेगेटिव हो तो ही कोई कंपनी इस Criteria में आएगी.
GSM के किस स्टॉक को रखा जाएगा इसका रिव्यु Quarterly बेसिस पर सेबी के द्वारा होती है कोई भी कंपनी GSM में कौनसे स्टेज में जाएगी वो सेबी Decide करती है ये इनका इंटरनल डॉक्यूमेंट होता है.
अगर कोई स्टॉक GSM के अन्दर है तो उसमे क्या कार्यवाही होगी?
Stage 1
अगर कोई स्टॉक GSM के अन्दर Stage 1 में चली जाती है तो ऐसे स्टॉक में ट्रेड करने के लिए 100 % का मार्जिन रेट लगता है ( 100 % मार्जिन रेट का मतलब होता है की उस स्टॉक को जिसे GSM में डाला गया है उसे खरीदने के लिए पूरा पैसा देना होगा ) और प्राइस बैंड 5 % कर दिया जाता है ( प्राइस बैंड 5 % का मतलब होता है की अगर GSM में डाले गये शेयर का प्राइस 5 % ऊपर या 5 % निचे एक ही दिन में चला जाता है तो उसकी ट्रेडिंग उस दिन के लिए बंद कर दी जाती है )
Stage 2
अगर कोई कंपनी GSM के अन्दर Stage 2 में चली जाती है उस कंपनी के शेयर को ट्रेड टू ट्रेड Category में डाल दिया जाता है. ट्रेड टू ट्रेड का मतलब होता है किसी शेयर की आप एक ही दिन खरीदकर बेच नहीं सकते है. ट्रेड टू ट्रेड का सिंबल होता है BE, जब कोई शेयर ट्रेड टू ट्रेड में नहीं होता है तो उसका सिंबल EQ होता है. इसके बाद होता है Stage – 3, Stage – 4 आती है.
जैसे जैसे Stages बढ़ते है स्टॉक के ऊपर और ज्यादा Restrictions लगते जाते है ये पूरा प्रोसेस करने का उद्देश्य होता है की जिस कंपनी का बिजनेस कुछ है ही नहीं उसके शेयर भी लगातार क्यों बढ़ रही है इसको नियंत्रित करना.
ये भी GSM जो की पुराना है अब Recent में सेबी ने Launch किया ASM जिसे कहते है Additional Surveillance Measure
2 ASM क्या होता है?( ASM Full Form in Share Market )
ASM का Full Form Added Surveillance Measure होता है, ASM को लाने का क्या उद्देश्य है तो इसका उद्देश्य यही है की अगर किसी स्टॉक में Unreasonable Price Fluctuations हो रही है या कुछ लोग है जो उस स्टॉक को Corner करके बैठे है या Manipulation कर रहें है या Operator बहुत ज्यादा एक्टिव है उसके ऊपर में Unreasonable Volatility है तो उस पर नजर रखना I ASM Weekly बेसिस पर बनाया जाता है.
Additional Framework को लाने का उद्देश्य ये था की हम Volatility को कम करें अगर कोई ऑपरेटर टीम मिलकर स्टॉक को Manipulate कर रहा है तो उसे कंट्रोल करें.
ASM को समझना GSM की तुलना में थोड़ा कठिन है ASM का Criteria निम्नलिखित है :-
- High Low Variation
- Client Concentration
- Close-to-Close Price Variation
- Market Capitalization
- Volume Variation
- Delivery Percentage
- No Unique PANs
- P/E
ASM के Browder Criteria है और ASM में किये जाने वाला कार्यवाही भी ज्यादा विस्तार में है
ASM दो टाइप से होता है
1 Long Term ASM
2 Short Term ASM
ASM के अन्दर भी 7 Criteria होता है और इसके अंदर भी 5 Stages है हर Stages के अपने Criteria है
ASM GSM Category Related FAQs:
Q: ASM में स्टॉक कितने समय तक रहता है?
Ans: जब भी कोई स्टॉक ASM में आता है तो ये स्टॉक इसके अन्दर 90 दिन तक रहता है अगर कोई स्टॉक ASM से निकलेंगे तो वापस से वो स्टॉक Stage By Stage निकलेगा.
Q: कौन कौन से स्टॉक को ASM में नहीं डाला जा सकता है?
Ans: यहां पर भी कुछ अपवाद है जैसे Public Sector Enterprise, Public Sector Banks, जो स्टॉक Already GSM में है Derivative स्टॉक, जो सिक्योरिटी ट्रेड टू ट्रेड में है.
Q: क्या GSM Institutional Investor पर भी लागू होता है ?
Ans: जी हाँ GSM, के नियम Institutional Investor पर भी लागू होता है.
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Hello friends, My name is Gopeshwar, and I am a stock market investor. I have been investing in the stock market for almost 5 years, and I have good knowledge of the stock market and finance. I provide stock market-related information on my stocksunlight website.